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काव्य |
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है। |
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पेड़ के ऊपर चढ़ा आदमी |
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उसने मेरा हाथ देखा | कविता - उपेन्द्रनाथ अश्क | Upendranath Ashk |
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क्यों निस दिन... | हिंदी ग़ज़ल - अलताफ़ मशहदी |
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रूख़ सफ़र का... | ग़ज़ल - अनन्य राय पराशर |
रूख़ सफ़र का सुकूं को मोड़ा जाए |
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कूड़े के ढेर से |
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